रक्षाबंधन हिंदू धर्म के लोगों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है, यह ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में जहां भी हिंदू धर्म के लोग रहते हैं वह बहुत ही उत्साह के साथ बनाया जाता है। यह भाई बहन का त्यौहार माना जाता है, और रक्षाबंधन हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अधिकतर अगस्त माह में मनाया जाता है।
यह त्यौहार भाई बहन का त्यौहार है, और यह भाई बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा, जिसे रक्षाबंधन क्या होता है? इसके बारे में जानकारी ना हो परंतु बहुत सारे लोगों को raksha bandhan kyu manaya jata hai? इससे संबंधित जानकारी नहीं होती है। तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको रक्षा बंधन का इतिहास और रक्षाबंधन से संबंधित सभी जानकारियां बहुत ही सरल भाषा में देंगे।
इस वर्ष रक्षाबंधन कब है 2022 में और शुभ मुहूर्त क्या है?
रक्षाबंधन का त्यौहार इस साल 2022 में 11 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। और राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से लेकर रात की 7:00 बजे तक का है, इस अवधि के मध्य भाई-बहनें राखी बांध सकते हैं। यह केवल शुभ मुहूर्त है।
आप रक्षाबंधन कभी भी बना सकते हैं, यह भाई बहनों के प्यार को दर्शाता है। और यह भाई बहनों के रिश्ते के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। तो चलिए अब हम जानते हैं कि रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है raksha bandhan kyu manaya jata hai और इससे संबंधित अन्य जानकारियां। तो अब आप जान गये हैं की रक्षाबंधन कब है 2022 में।
रक्षाबंधन क्या होता है? raksha bandhan kyu manaya jata hai
रक्षाबंधन भाई और बहन का त्यौहार होता है। जो कि घर में बहुत सारी खुशियां लेकर आता है और इसी के साथ भाई बहन के रिश्ते के लिए बहुत ही अहम होता है। भाई को याद दिलाता है, कि उसे अपनी बहन की रक्षा करनी है। सभी बहनों भाइयों की कलाई में राखी बांधी है। और अपने भाई की खुशी और स्वास्थ के लिए दुआ करती है। भाई अपनी बहनों को राखी के बदले कुछ उपहार देते हैं। और इनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? Raksha bandhan kyu manaya jata hai?
पूरे भारतवर्ष में रक्षाबंधन के त्यौहार को बहुत ही उल्लास और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को भारत के सभी लोग बनाते हैं। और इस त्यौहार से जुड़े इतिहास की कुछ कहानियां है। ऐसी कहानियां जो कि दंत कथाओं में बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हैं। तो चलिए रक्षाबंधन के इतिहास को जानते हैं। और इससे जुड़ी कहानियों को पढ़ते हैं जिससे कि हमें यह पता चल सके कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है raksha bandhan kyu manaya jata hai ?
रक्षाबंधन से संबंधित इंद्र देव की कहानी
पुराना में लिखा हुआ है कि राजा बलि ने देवताओं के ऊपर आक्रमण कर दिया था देवताओं के राजा इंद्रदेव जी को काफी ज्यादा क्षति पहुंची थी। जिसे देखकर इंद्र देव की पत्नी शचि से बिल्कुल भी नहीं रहा गया। वह विष्णु जी के पास गई और उन्होंने इसका समाधान प्राप्त करना चाहा। तब प्रभु विष्णु जी ने एक धागा इंद्र देव की पत्नी शचि को प्रदान किया। और उन्हें कहा कि वह इस धागे को लेकर अपने पति की कलाई पर बांध दें। और जब उन्होंने ऐसा किया उसके पश्चात राजा बलि इंद्रदेव के हाथों पराजित हो गए।
इसलिए प्राचीन काल में जब भी युद्ध पर जाना होता था। तो राजा और उनके सैनिकों के हाथों पर उनकी पत्नी या उनकी बहन राखी बांधती थी। ऐसा इसलिए किया जाता ताकि ताकि वह जीत कर सुकुशल अपने घर वापस आ सके।
रानी कर्मावती और सम्राट हुमायूं की कहानी
रानी कर्मावती और सम्राट हुमायूं की कहानी का रक्षाबंधन के इतिहास में कुछ अलग ही महत्व है। यह उस समय की बात थी जब राजपूतों को अपने राज्य को बचाने के लिए मुसलमान राजा से युद्ध करना पड़ रहा था। और उस समय भी राखी काफी ज्यादा प्रचलन में थी बहनें अपने भाई बहनों की रक्षा करने का वचन देता था। जब चित्तौड़गढ़ पर सुल्तान बहादुर शाह ने हमला किया तो चित्तौड़गढ़ की रानी कर्मावती हुआ करती थी। जो कि एक विधवा थी।
और बहादुर शाह के हमले के समय उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूं को भेजी थी। उनकी रक्षा करने के लिए और हुमायूं ने राखी को स्वीकार किया। और अपनी बहन की रक्षा के लिए एक सेना की टुकड़ी को चित्तौड़गढ़ में भेजा जिसके बाद बहादुर शाह को अपनी सेना को पीछे हटाना पड़ा।
सम्राट अलेक्जेंडर और सम्राट पुरु की कहानी
यह कहानी रक्षाबंधन के इतिहास की सबसे पुरानी कहानियों में से एक है। यह सन 300BC में हुई थी। उस समय अलेक्जेंडर भारत पर विजय प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ भारत आया था।
और तब भारत पर सम्राट पुरु का काफी ज्यादा बोलबाला था एक तरफ जहां एलेग्जेंडर ने कभी भी कोई भी युद्ध नहीं हारा था। लेकिन उन्हें सम्राट पूर्व की सेना से लड़ने में काफी ज्यादा समस्या हो रही थी। और जब अलेक्जेंडर की पत्नी को रक्षाबंधन के बारे में पता चला उन्हें राखी का महत्व समझ में आया और अपने पति को हारते हुए देखकर। उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी, जिससे कि वह एलेग्जेंडर को जान से ने मारे और ऐसे ही सम्राट पुरु ने अपनी बहन का कहना मान पर अलेजजेंडर पर हमला नहीं किया।
माता लक्ष्मी और राजा बलि की रक्षा बंधन से संबंधित कहानी
राजा बलि भगवान विष्णु का बहुत ही बड़ा भक्त था और भगवान विष्णु बली की इतनी ज्यादा भक्ति को देखकर काफी ज्यादा प्रसन्न होकर। बलि के राज्य की रक्षा स्वयं करना शुरू कर दी ऐसे में माता लक्ष्मी काफी ज्यादा परेशान होने लगी। क्योंकि विष्णु जी वैकुठ पर बहुत ही कम रहते थे।
और इसके चलते माता लक्ष्मी जी एक ब्राह्मण औरत का रूप लेकर राजा बलि के महल में रहने लगी। और कुछ समय पश्चात उन्होंने बलि के हाथों में राखी बांधी, और बदले में कुछ देने को कहा और राजा बली को यह पता नहीं था कि यह औरत माता लक्ष्मी है। इसलिए उन्होंने उनसे कुछ मांगने का अवसर दिया, इस अवसर पर माता लक्ष्मी ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुठ लौट जाने के लिए आग्रह किया। क्योंकि राजा बलि ने पहले ही वादा कर दिया था इसलिए उन्होंने विष्णु जी को वापस लौट आना पड़ा।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
सभी त्योहारों की तरह ही रक्षाबंधन को बनाने की भी एक विधि होती है। जिसका पालन यदि आप करते हैं, तो काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। तो चलिए इस विधि को हम विस्तार से जानते हैं कि रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?
रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना होता है। जिससे कि आपका मन और आपका शरीर दोनों ही पूरी तरीके से पवित्र हो जाए। और उसके पश्चात सबसे पहले भगवान की पूजा करनी होती है। और पूरे घर मैं साफ सफाई करके गंगाजल का छिड़काव किया जाना किया जाना चाहिए। और उसके पश्चात बात आती है, राखी बांधने की इसमें बहन सबसे पहले राखी की थाली सजाती है। रक्षाबंधन के इस पवित्र त्यौहार के लिए पीतल की थाली का उपयोग किया जाता है। इसमें राखी, चंदन, दीपक, कुमकुम हल्दी, चावल के दाने नारियल और मिठाई रखी जाती है।
फिर भाई एक साथ स्थान पर नीचे बैठता है। और बहन राखी बांधने की विधि शुरू करती है। सबसे पहले बहन दिये को जलाती है। फिर भाई के माथे पर तिलक लगाती है। और अपने प्यार भाई की आरती करती हैं। उसके पश्चात बहन अक्षत फेंकी हुई मन्नत मांगती है और अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है।
उसके पश्चात अपने भाई का मुंह मीठा कराती है। यदि भाई बहन से बड़ा है तो बहन उसकी चरण स्पर्श करती है, वही छोटा हुआ तो भाई बहन के चरण स्पर्श करेगा। अब भाई अपने बहन को उपहार देता है। जब तक राखी की रसम एवं विधि पूरी ना हो जाए तब तक भाई और बहन दोनों को ही भूखा रहना होता है। इस प्रकार से रक्षाबंधन का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है।
पहली बार रक्षाबंधन किसने मनाया था?
हिंदू पुराणों के अनुसार माना जाता है। कि लक्ष्मी माता जी ने सबसे पहले राखी बांधी थी राजा बलि को और उन्हें उपहार मे विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुठ लौटा देने के लिए आग्रह किया था। और फिर राजा बलि नहीं अपनी बहन की बात मानकर ऐसा ही किया। और तब से रक्षाबंधन बनाने की शुरुआत हुई थी। और इसे भाई-बहन का एक पवित्र त्योहार के रूप में आज भी बनाते हैं।
सारांश
आज के इस लेख में हमने भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन से संबंधित जानकारी ली जैसे कि raksha bandhan kyu manaya jata hai रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? और रक्षाबंधन के इतिहास के बारे में जाना। उम्मीद करते हैं, आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। इससे संबंधित कोई भी सवाल है, तो नीचे कमेंट करके पूछें आर्टिकल को पूरा पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो। इस आर्टिकल को सभी Social Media Sites पर शेयर करें।
FAQs –
Q.1 रक्षा बंधन कितनी तारीख को है?
रक्षाबंधन 11 अगस्त 2022 को है।
Q.2 रक्षाबंधन में किस हाथ पर राखी बांधी जाती है?
रक्षाबंधन में बहन अपने भाई को दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती है।
Q.3 हिंदी कैलेंडर के अनुसार रक्षाबंधन कब बनाया जाता है?
रक्षाबंधन हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है
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