Diwali Kyu Manaya Jata Hai दिवाली क्यों मनाई जाती है – Diwali 2021

आज आप सीखेंगे की Diwali Kyu Manaya Jata Hai दिवाली क्यों मनाई जाती है। इसके साथ आप दिवाली से जुड़े सभी जानकारियां प्राप्त karenge.

भारत देश में 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 80% भारतीय नागरिक हिन्दू धर्म से आते है जो हिन्दू धर्म के अनुसार अनेक देवी – देवताओँ को पूजा करते हैं। हिंदू धर्म के परंपरागत अनुसार देश में देवी – देवताओँ आराधना करने या फिर उन्हें याद करने के लिए अनेक त्योहार मनाए जातें। जैसे माता दुर्गा की आराधना करने के लिए नवरात्रि पूजा की जाती हैं। ऐसे ही भगवान राम की आराधना करने और उनकी याद में प्ररिबर्ष भारत मे दीवाली का त्योहार बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जाता हैं।

भारतीय मान्यता के अनुसार दिवाली मानने के कई कारण हैं, लेकिन आख़िर दीवाली क्यों मानाया जाता हैं, इसका क्या महत्व है?, या फिर दीवाली कैसे मनाया जाता हैं? इस साल 2021 में दीवाली कब हैं? इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जिससे अभी काफ़ी लोग अंजान हैं।

इस आर्टिकल में आप जानेंगे की भी दीवाली क्यों मनाया जाता हैं और साथ में diwali 2021 date, diwali 2021 kab hai, diwali pooja vidhi, diwali mantra इस सब के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

तो अब आपको परेशान होने की ज़रूरत नही हैं, क्योंकि आपको हमारे इस आर्टिकल में दीवाली कैसे मनाएं? इसका क्या महत्व है और 2021 में दीवाली कब है इससे सभी जानकारी मिलने वाली हैं। तो अगर आप भी इस महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़ें –

दिवाली क्यों मनाई जाती है? Diwali Kyu Manaya Jata Hai

दीवाली अंधकार पर विजयी प्राप्त करने वाला हिन्दू धर्म का काफी लोकप्रिय त्योहार हैं। जो कि शरद ऋतु की शुरुआत ( अक्टूबर-नवंबर) में मनाया जाता हैं। भारतीय मान्यता के अनुसार दीपावली अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्री राम के 14 साल के वनवास के पश्चात जब श्री राम अयोध्या में वापस आये थे तब अयोध्या वासियों ने प्रफुल्लित होकर उनके आगमन पर घी के दीप जलाएं थे। तभी से प्रतिवर्ष दीवाली को पूरे भारत मे काफ़ी हर्षोल्लास से मनाया जाने लगा।

भगवान श्री राम के अलावा अन्य कई देवी देवताओं की कहानी दीवाली त्योंहार से जुड़ी हुई हैं। जिससे पता चलता है कि दीवाली का त्योंहार क्यों मनाया जाता हैं। नींचे हमनें दिवाली मनाने पीछे जुड़ी सभी कहानियों के बारे के चर्चा की हैं। ताकि Diwali Kyon Manayi जाती हैं इसकी पूरी जानकारी आपको मिल सकें।

देवी लक्ष्मी माँ का जन्म

दिवाली का देवी लक्ष्मी माँ से जुड़ा हुआ है ऋषि मुनियों के द्वारा ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन ही देवी लक्ष्मी माँ का जन्म हुआ था। जन्मदिन और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दिवाली के दिन भी लक्ष्मी मां और विष्णु भगवान की शादी हुई थी। जिसके उपलक्ष्य में प्रतिबर्ष दिवाली का त्योंहार मनाया जाता हैं।

पांडवों के वनवास पूरा करने के उपलक्ष में

महाभारत के अनुसार पांडव एक खेल में अपना राजपाट हार गए थे और उन्हें इस हार के कारण 12 साल का बनवास भी दिया गया था। 12 साल बाद जब पांडव अपना वनवास पूरा करके वापस लौटे थे तो उनके चाहने वालो ने उनके आगमन पर घरों में दीप जलाए थे। इसी खुशी में प्रतिवर्ष इस दिन से दिवाली का त्यौहार मनाया जाने लगा।

कृष्ण और नरकारसुर से जुड़ा है दीवाली का त्योंहार

दिवाली का त्योंहार कृष्ण और नरकारसुर कि कहानी से भी जोड़ा जाता हैं। ऐसा माना जाता है। नरकारसुर जो कि एक राक्षस था और अपनी शक्तियों से देवी – देवताओं पर अत्याचार करता था। जिससे मुक्ति दिलाने के लिए देवी देवताओं ने कृष्ण की शरण ली हैं। कृष्ण जी ने देवी देवताओं को नरकारसुर से मुक्ति दिलाने के लिए कार्तिक मास अमावस्या के नरकारसुर का वध कर दिया जिसकी खुशी में सभी ने अपने घरों में दीप जलाएं। तभी प्रतिवर्ष इस खुशी में पूरे भारत में दिवाली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

फसलों का त्योंहार

मान्यता के अनुसार दिवाली को किसानों की फसल से भी जोड़ा जाता हैं। दीवाली अक्टूबर या नवंबर में आता है इन्ही महीनों में खरीफ़ फसल कटाई होती हैं। जिससे किसानों के घरों अनाज की समृद्धि होती हैं। इस उपलक्ष्य में किसान प्रतिबर्ष दिवाली को हर्षोल्लास से मनाते हैं।

दिवाली का त्योंहार कब मनाया जाता हैं?

दिवाली का त्योंहार हिन्दू धर्म के अनुसार काफ़ी महत्वपूर्ण त्योंहार हैं जिसे पूरे भारत मे हिन्दू धर्म, बौद्ध, जैन के लोगों के द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली का त्योंहार कार्तिक मास की अमावस्या (अक्टूबर या नवंबर) महीने में मनाया जाता हैं। इस दिन भारत में निवास करने वाले सभी हिंदी धर्म, सिक्ख, बौद्ध धर्म के नागरिक अपने – अपने घरों के दीप जलाकर घर को अंधकार से दूर करते हैं।

दिवाली का महत्व

दीपावली हिन्दू धर्म के नागरिकों के लिए काफ़ी बड़ा त्योंहार मनाया जाता हैं, क्योंकि यह त्योंहार धनतेरस से शुरू होकर भाईदूज तक मनाया जाता हैं। दिवाली का महत्व सिर्फ़ भारत मे नही बल्कि अन्य कई देशों में जहां – जहां हिन्दू धर्म के लोग निवास करते हैं उनके लिए भी काफ़ी हैं। इस दिन सभी लोग परिवार के साथ मिलकर दिए जलाते हैं तथा जो लोग अपने घरों से दूर हैं वह सब लोग अपने घरों में आकर अपने परिजनों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।

दिपावली कब हैं?

भारतीय हिन्दू कैलेंडर पंचाग के अनुसार Diwali 2021 में कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या दिन गुरुवार दिनांक 4 नवंबर 2021 को है।

दिवाली कैसे मनाया जाता है?

दिवाली से कुछ दिन पहले ही घर की साफ सफाई और मरम्मत शुरू कर दी जाती है। तथा घर की औरतें घर को सुंदर बनाने के लिए रंगोली बनाकर सजावट करती है। यह त्यौहार रात्रि में दीप जलाकर मनाया जाता है। जिसमें संध्या काल को लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है इस पूजा में परिवार के सभी सदस्य शामिल होकर एक दूसरे को मिठाइयां और उपहार देते है। तथा चारों तरफ आसमान में आतिशबाजी देखने को मिलती है। दिवाली के समय पर प्रत्येक घरों में मिठाइयां गुजिया लड्डू गुलाब जामुन जलेबी अधिक स्वादिष्ट व्यंजन बनते हैं जिनका सेवन पूरा परिवार लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के बाद करता है।

दिवाली पर पूजा करने के लिए जरूरी सामग्री

आमतौर पर दिवाली पर पूजन करने के लिए जिन सामग्री की आवश्यकता होती है वह आसानी से घरों में मिल जाती हैं इसके अतिरिक्त भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें आपको मार्केट से खरीदा होगा जैसे-  लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, रोली, कुमकुम, , कलश, कमल गट्टे की माला, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत (जनेऊ), श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, और अंत में देवताओं को प्रसाद चढ़ाने के लिए एक पात्र की आवश्यकता होती है।

दीवाली की पूजा विधि

  • सभी जरूरी सामग्री एकत्रित करने के बाद अब आपको सबसे पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र को बिछाकर उस पर लक्ष्मी गणेश सरस्वती के चित्र अथवा प्रतिभा को विराजमान करना होगा।
  • इसके बाद आपको किसी पात्र में थोड़ा सा जल लेकर उन प्रतिमा के ऊपर छोड़ते हुएऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। मंत्र का जाप करके खुद को पा मूर्तियों को पवित्र करना होगा।
  • इसके बाद आपको पृथ्वी माता को प्रणाम करते हुए तथा क्षमा प्रार्थना करते हुए निम्न मंत्र निम्नलिखित मंत्र पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
  • ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥ पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः का जाप करते हुए अपना स्थान ग्रहण करना होगा।
  • इसके उपरांत आपको ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः” मंत्र का कहते हुए गंगाजल का आचमन करना है।
  • आपको अपना मन शांत करते हुए अपनी आंखों को बंद करना है और मन ही मन ईश्वर की आराधना करनी है।
  • फिर आपको अपने हाथ में जल और फिर चावल पुष्प लेकर पूजा का संकल्प करना होगा। इसके अतिरिक्त आप ₹1 का सिक्का लेना ना भूलें।
  • संकल्प पूरा होने के पश्चात आपको अपने हाथ में मौली लेकर माता लक्ष्मी भगवान गणेश तथा माता सरस्वती को अर्पण कर अपने करना होगा साथ ही इस मौली को आप अपने हाथों पर जरूर बांधे।
  • अब आपको तिलक लेकर सभी देवी देवताओं को लगाते हुए अपने सभी परिजनों को लगाना होगा। इतनी भी करने के पश्चात अब आप माता लक्ष्मी की आराधना करना शुरू कर सकते हैं।
  • सबसे पहले आपको गणेश जी महाराज और माता लक्ष्मी जी का पूजन करना है फिर सभी प्रतिमाओं के आगे अपने हिसाब से 7, 11 या फिर 21 दीपक जलाने होंगे।
  • दीपक जलाने के पश्चात आप माता महालक्ष्मी को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें तथा माता को भोग लगाकर उनकी आरती करें आरती करते समय आपको श्रीसूक्त लक्ष्मीसूक्त गणेश मंत्र, लक्ष्मी मंत्र व कनकधारा स्रोत का पाठ का पाठ करना है।
  • इस तरह से आप दीपावली पर महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके उचित फल प्राप्त कर सकते हैं।

दीपावली से जुड़े सवाल-जवाब

दिवाली कब मनाई जाती है?

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दिवाली का त्योंहार कार्तिक मास की अमावस्या (अक्टूबर या नवंबर) महीने में मनाया जाता हैं।

दिवाली के त्यौहार पर कौन से भगवान की पूजा की जाती है?

इस त्यौहार पर भगवान गणेश के साथ साथ महालक्ष्मी, और सरस्वती माता का पूजन किया जाता है।

इस वर्ष दिवाली किस दिन है?

इस वर्ष हिन्दू कैलेंडर पंचाग के अनुसार दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या दिन गुरुवार दिनांक 4 नवंबर 2021 को है।

निष्कर्ष

दिवाली का त्यौहार भारत के साथ-साथ सभी देशों में बनाया जाने वाला एक बहुत बड़ा और सबसे अधिक दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसकी पूजा विधि से लेकर इतिहास तक के बारे में हमने आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि आपको दिवाली के बारे में जानकारी प्राप्त करके अच्छा लगा होगा और अब आप समझ गए होंगे की Diwali Kyu Manaya Jata Hai.

अगर आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो आप से अनुरोध है कि इसे ज्यादा से ज्यादा अपने मित्र गणों तथा परिजनों के साथ शेयर करें साथ ही साथ इस आर्टिकल को सोशल मीडिया में शेयर करें ताकि ये जानकारी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंच सके। हिंदी में अन्य ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए आप Techuhelp पर विजिट कर सकते हैं।

Sharing Is Caring:

Leave a Comment