जानिए महामृत्युंजय मंत्र ( Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi ) के बारे में जिसके जाप से दुर्बल मनुष्य बलवान हो जाता है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता
ये मंत्र भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली मंत्र है जिसका जाप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस मंत्र का उल्लेख सभी वेद पुराणों में मिलता है और इस मंत्र में मृत्यु को जीत लेने की शक्ति समाहित है। महामृत्युंजय मंत्र जाप सभी जापों में श्रेयष्कर है इसमें लेसमात्र भी संदेह नहीं है ।
Mahamrityunjaya Mantra Lyrics
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
अगर आप भी देवो के देव महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते है तो आपके लिए ये महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही कारगर साबित होगा । शिव जी का यह मंत्र सबसे अधिक प्रभावशाली माना गया है । यह वह शक्तिशाली मंत्र है जिसका जाप करने से मनुष्य को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और जीवन में जो अपशगुन होने वाला रहता है वह भी टल जाती है ।
इस मंत्र का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है तथा इस शक्तिशाली महामृत्युंजय मंत्र की रचना ऋषि मार्कण्डेय जी ने की थी । तो आइये इस मंत्र से जुडी कुछ बाते बताते है और इसका क्या क्या प्रभाव होता है वह भी बताते है ।
Mahamrityujay Mantra ke Rachaita (महामृत्युंजय मंत्र के रचयिता)
ऋषि मारकंडे जी ने महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी । मारकंडे ऋषि तेजस्वी और तपस्वी ऋषि मृकण्ड जी के पुत्र थे । मृकण्ड ऋषि को कोई संतान प्राप्त नहीं हो रही थी फिर उन्होंने बहुत तपस्या की तब जाके उनको एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने मार्कन्डे रखा । लेकिन कुछ ज्योतिषियों ने उस शिशु के लक्षण को देखते हुवे मृकण्ड ऋषि से कहा की आपके पुत्र की आयु मात्रा 16 वर्ष तक की ही है ।
मृकण्ड जी ने अपने पुत्र मार्कन्डे जी को हर प्रकार की शिक्षा से निपुड़ कर दिया । ऋषि मार्कन्डे एक आज्ञाकारी पुत्र थे , वे अपने माता पिता की हर बात मानते थे । ऐसे ही माता पिता के साथ रहते हुवे मार्कन्डे जी को 15 साल हो गए और जब वे 16 वे साल में प्रवेश किये तो उनके माता पिता उदास रहने लगे क्युकी उनको मालुम था की इस वर्ष मेरे पुत्र की मृत्यु हो जाएगी ।
माता पिता को उदास देखकर मार्कन्डे जी ने इसका कारन पूछा परन्तु उनके माता पिता कुछ बता नहीं रहे थे, मार्कन्डे जी के बहुत जिद करने पर ऋषि मृकण्ड बोले की पुत्र भगवान् भोलेनाथ ने तुमको मात्र 16 वर्ष की आयु प्रदान की है और यह इस वर्ष पूर्ण होने वाली है इसलिए हमलोग दुखी है । मार्कन्डे जी बोले की आप इससे दुखी मत होइए मई भगवान् भोलेनाथ को मना लूंगा । फिर महर्षि मृकण्ड जी ने उनको शिव जी का मंत्र बताया और बोला पुत्र इस मंत्र का जाप करने से शिव जी प्रसन्न होंगे और तुम्हे मृत्यु के भय से मुक्त कर सकते है ।
इसके बाद बालक मार्कन्डे जी ने शिव मंदिर में जाकर शिव जी की आराधना शुरू कर दी , जब मार्कन्डे जी की मृत्यु का समय आया तो यमराज के दूत उन्हें लेने आये लेकिन उन्होंने देखा की बालक मार्कन्डे जी शिव भक्ति में लीन है तो उनकी हिम्मत नहीं हुई उस बालक के पास जाने की और वे उस मंदिर के बहार से ही लौट गए । उन्होंने जाकर यमराज को जो देखा था वो सारी बाते बताई ।
फिर यमराज स्वयं ही बालक मार्कन्डे जी को लेने के लिए गए , यमराज जी की लाल आँखे और भयानक रूप को देखकर बालक मार्कन्डे जी डर गए और रट हुवे शिवलिंग को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिए । जैसे ही मार्कन्डे जी ने शिवलिंग का आलिंगन किया वैसे ही भगवन शिव जी प्रकट हुवे और गुस्सा होते हुवे यमराज से बोले की हे यमराज मेरी भक्ति में लीन इस बालक की मृत्यु का विचार भी आपके मन में कैसे आया , इस बालक को मृत्युदंड देने के बारे में आपने सोच कैसे लिया ।
इस पर यमराज जी ने उत्तर दिया की प्रभु मई आपसे क्षमा चाहता हु लेकिन विधाता ने जो कर्मो के आधार पर मृत्युदंड देने का कार्य मुझे सौपा है , मई तो बस उसी का पालन कर रहा हु । इसके पश्चात् भगवान् शिव बोले की मैंने इस बालक को अमरता का वरदान दिया हु इसलिए इसकी मृत्यु का विचार अपने मन से निकाल दो और यहाँ से चले जाओ ।
भगवान् शिव जी के मुख से इस प्रकार के वचन सुनकर यमराज जी उनको प्रणाम करके वहा से चले गए । बालक मार्कन्डे की तपस्या देखकर शिव जी ने उनको अनेक कल्पो तक जीने का वरदान दिया । वरदान पाकर बालक मार्कन्डे अपने माता पिता के आश्रम में आ गए और इसके बाद प्रभु शिव की महिमा का वर्णन दूर दूर तक जाकर लोगो के मध्य पहुंचाने लगे ।
इस पृथ्वी पर आठ लोगो को अमरता का वरदान प्राप्त है जिनमे महर्षि मार्कन्डे ji का भी नाम आता है । बाकी के सात नाम हम आपको निचे बता रहे है ।
वरदान प्राप्त | कहानी |
हनुमान जी | हनुमान जी ने माता सीता को प्रभु श्री राम जी का संदेश सुनाया था इससे प्रसन्न होकर माता सीता जी ने हनुमान जी को अजर अमर होने का वरदान दिया था |
अश्वत्थामा | पांडवों के पुत्रों की रात में छिप कर वध करने के कारण उन्हें भगवान श्री कृष्ण ने मृत्यु भवन में पापों का प्रायश्चित करने का शाप दिया है। |
राजा बलि | महादानी राजा बलि ने अपनी कठिन भक्ति और तपस्या से भगवान विष्णु से अमरता का वरदान प्राप्त किया है। कालांतर से महाराजा बलि पाताल लोक में निवास कर रहे हैं। |
परशुराम | कहा जाता है की परशुराम जी भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। परशुराम भगवान् भोलेनाथ जी के परम भक्त हैं। शिव जी की कृपा से उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। |
विभीषण | जब रावण वध के पश्चात् मर्यादा पुरषोत्तम भगवान् राम अयोध्या को लौट रहे थे। तब उन्होंने विभीषण जी को लंका का राजा बनाकर उन्हें अमरता का वरदान दिया था । आज भी विभीषण पृथ्वी लोक में ही हैं। |
वेद व्यास | ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले वेद व्यास जी को भी अमरता का वरदान प्राप्त है। चिरकाल से वेद व्यास इस धरती पर घटित होने वाली मुख्य घटनाओं को अपनी रचनाओं में संकलित करते आ रहे हैं। |
कृपाचार्य | धार्मिक मान्यता है कि कृपाचार्य को भी अजर अमर होने का वरदान प्राप्त है। कृपाचार्य एक महान विद्वान, प्रकांड पंडित और तपस्वी रहे हैं। |
ऋषि मार्कन्डे | ये भगवान् शिव जी के परम् भक्त है इन्होने शिव जी आराधना करते हुवे महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध किया था और शिव जी से अमरता का वरदान प्राप्त किया था . |
महामृत्युंजय मंत्र का भावार्थ
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
भावार्थ : इस मंत्र सरल मतलब ये है कि हम भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं। उनसे हमारी प्रार्थना है की वो हमें मृत्यु के बंधनो से मुक्ति प्रदान करे और आपकी चरणों की अमृतधारा का पान करते हुवे इस नश्वर रूपी शरीर को त्यागकर आपमें हमेशा के लिए लीन हो जाए ।
महामृत्युंजय मंत्र का जप कैसे किया जाए
रोज रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर दूर हो जाता है। साथ ही कुंडली के दूसरे बुरे रोग भी शांत होते हैं, इसके अलावा पांच तरह के और सुख भी इस मंत्र के जाप से मिलते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र जप के अन्य फायदे
1 . भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप करना चाहिए
2 . रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप करना चाहिए
3 . पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, तथा अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना चाहिए
4 . यदि भक्त पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह साधना करें, तो वांछित फल की प्राप्ति की प्रबल संभावना होती है।
तो ये थी पूरी जानकारी Maha Mrityunjaya Mantra in Hindi के बारे में। हमें उम्मीद है इससे आपको लाभ होगा। नयी जानकारियों के लिए अजनभा को सब्सक्राइब करें। इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्।
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