माता महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और शेषनाग पर श्री विष्णु के साथ सुशोभित हैं. माँ की चार भुजाएं हैं जिनमे २ भुजाओं में माँ ने कमल का पुष्प धारण किया हुआ है तथा २ हाथों में से एक हाथ में अशर्फियों से भरा एक कलश है और दाहिने हाथ से धनवर्षा की मुद्रा है. माँ का ये स्वरुप अत्यंत ही निराला है और इस स्वरुप को कई नामों से पुकारा जाता है. माँ के कुछ नाम इस प्रकार हैं।
१. महालक्ष्मी
६. वैकुंठवासिनी
५. कमला
४. विष्णुप्रिया
३. धनदात्री
२. लक्ष्मी
शास्त्रों के अनुसार जो भक्त माँ लक्ष्मी की पूजा और भक्ति करते हैं उन्हें कभी धन का अभाव नहीं होता और उनके घर में सदैव सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है। प्रतिदिन सुबह पूजन के दौरान माँ लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए, माता महालक्ष्मी की पूजा शुक्रवार को करना विशेष लाभदायक माना जाता है और इस दिन माँ लक्ष्मी अपने भक्तों पर विशेष कृपा प्रदान करती हैं। ऐसी मान्यता है की जहाँ माँ लक्ष्मी का निवास होता है वहां भगवान विष्णु का भी निवास होता है इस प्रकार अगर माँ महालक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं तो विष्णु जी की कृपा स्वतः ही प्राप्त होने लगती है। आप चाहें तो विष्णु मंत्र का जाप भी कर सकते हैं ताकि आपको पूजन का संपूर्ण फल प्राप्त हो।
महालक्ष्मी पूजन विधि
सबसे पहले सुबह में स्नान करके पूजन के स्थान को साफ़ करें और फिर पवित्र मन से माँ लक्ष्मी की आराधना करें, माँ को लाल, गुलाबी तथा पिले रंग के वस्त्र अत्यंत प्रिय हैं। कमल के फूल तथा गुलाब के फूल भी माँ को विशेष रूप से प्रिय हैं। इसके अतिरिक्त आप पूजा में रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा अथवा चित्र, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, सुगन्धित धुप और हवन सामग्री, कपूर, अगरबत्ती, दीपक, रुई, मौली, नारियल, शहद, शुद्ध गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, दुर्वा, चंदन, सिंदूर, सुगन्धित केवड़ा, गुलाबजल अथवा चंदन के इत्र का उपयोग कर सकते हैं।
सर्वप्रथम आप थोड़ा सा गंगाजल सभी मूर्तियों के ऊपर छिड़कें जिसमे माँ लक्ष्मी तथा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। आपको आपके आसान और सभी पूजन सामग्री को भी पवित्र करना है। पवित्रीकरण के लिए निम्नलिखित मंत्र का जाप करें।
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।
अब आचमन की प्रक्रिया शुरू करें इसके लिए पुष्प या अंजुली से एक बून्द पानी अपने मुँह में डालके ॐ केशवाय नमः मंत्र का जाप करें इसके बाद पुनः एक बून्द पानी अपने मुंह में डालकर ॐ नारायणाय नमः मंत्र का जाप करें इसके बाद पुनः तीसरी बार एक बून्द पानी मुँह में डाल के ॐ वासुदेवाय नमः मंत्रोचारण करें और फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए अपने हाथों को खोलें, अब अंगूठे से होठों को पोंछ कर हाथों को धो लें। इस प्रक्रिया को आचमन कहते हैं इससे विद्या, आत्म और बुद्धि तत्व का शोधन होता है।
अब आप पूरी तरह से शुद्ध हो चुके हैं और आप पूजा के लिए तैयार हैं। अब आप शुद्ध मन से माँ लक्ष्मी का पूजन करें और निम्नलिखित मन्त्रों का जाप karein. माँ लक्ष्मी के कुछ प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं।
१. ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः
२. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः
३. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
४. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ
इसके उपरांत यथाशक्ति दान करें और गरीबों को भोजन कराएं इससे माँ अत्यंत प्रसन्न होती हैं और आपके घर को सुख सम्पति से भर देती हैं।