सूर्य देव को हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान प्राप्त है और हम सब अपने दिन की शुरुवात सूर्य देव को जल चढ़ा कर करते हैं। सूर्य की पूजा उपासना करने से व्यक्ति ऊर्जावान, तेजस्वी और सफल बनता है। ज्योतिष विज्ञानं के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य बलवान होता है वो लोग बड़े राजनेता, कलाकार या समाज में प्रतिष्ठित लोग होते हैं और उनकी प्रसिद्धि दिन प्रतिदिन बढती ही जाती है।
सूर्य देव की पूजा कई प्रकार से की जाती है कोई उगते हुए सूर्य को प्रणाम करता है, कोई जल चढ़ाता है, कोई सूर्य मंत्र जाप ( Surya Dev Mantra Jaap ) करता है तो कोई व्रत के द्वारा सूर्य देव को प्रसन्न करता है। उत्तर भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ पूजा के द्वारा सूर्य देव को पूजा जाता है तो दक्षिण भारत में सूर्य देव के सूर्यनार कोविल जैसे मशहूर मंदिर हैं जहाँ नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा होती है। आइये एक नज़र डालते हैं देश भर के सूर्य देव के प्रसिद्ध मंदिरों पर!
- सूर्य मंदिर रांची (Sun Temple Ranchi): झारखण्ड राज्य का रांची शहर कई चीजों के लिए प्रसिद्ध है और उनमें से एक है बुंडू के करीब टाटा रोड पर स्थित शानदार सूर्य मंदिर। ये मंदिर रांची के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में गिना जाता है यहाँ के सूर्य मंदिर में एक भव्य रथ है जो माना जाता है कि यह सूर्य देवता का है। इस विशाल रथ में १८ पहिए और ७ घोड़े शामिल हैं और यह मंदिर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मंदिर परिसर में एक छोटा तालाब बनाया गया है जहाँ लोग छठ पूजा करते हैं और सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं।
- सूर्य मंदिर गया (Gaya Sun Temple): गया (बिहार) में सबसे पुराने धार्मिक केंद्रों में गिना जाता है यह काफी पुराना है और हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है । जहां तक मंदिर के शिल्पकला का सवाल है ये बिल्कुल सरल है लेकिन इस मंदिर का विशेष महत्वा है। इसके अलावा मंदिर को ‘पिंड दान’ के लिए भी जाना जाता है।
- सूर्य मंदिर कोणार्क (Konark Sun Temple) : ओडिशा के कोणार्क में सूर्य मंदिर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है। देश के प्रसिद्ध धार्मिक केंद्रों में गिने जाने वाले आश्चर्यजनक कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिम्हदेव द्वारा १३ वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। इस प्राचीन मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में भक्त इसकी सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए आते हैं। सही अर्थों में यह मंदिर उड़िया वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण है।
- सूर्य मंदिर ग्वालियर (Gwalior Sun Temple): ग्वालियर एक प्राचीन शहर है जो अपनी पुरानी शिल्पकला और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ग्वालियर का सूर्य मंदिर यहाँ के सबसे उल्लेखनीय आकर्षण में से एक है जो भक्तों और यात्रियों सभी को आकर्षित करता है। सूर्य देव को समर्पित मंदिर १९८८ में अपने समय के एक प्रमुख उद्योगपति जीडी बिड़ला द्वारा १९८८ में बनाया गया था। कारीगरी का भव्य प्रदर्शन पूरा मंदिर लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाया गया है।
- सूर्य मंदिर मोढेरा (Modhera Sun Temple) : गुजरात के मोढेरा शहर में स्थित ये सूर्य मंदिर पुष्पवती नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को सोलंकी राजवंश के राजा भीमदेव ने बनवाया था और आज ये गुजरात के सबसे लोकप्रिय दार्शनिक स्थलों में से एक है। यह भव्य प्राचीन मंदिर गुजरात में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। जब मंदिर की वास्तुकला की बात आती है, तो यह सूर्य कुंड (जलाशय), सभा मंडप (असेंबली हॉल) और गुडा मंडप (मुख्य हॉल) जैसे तीन मुख्य खंडों को शामिल करता है। इन घटकों में से प्रत्येक का अपना महत्व है और नक्काशीदार खंभों में जटिल विशेषताएं भी हैं।
- सूर्य मंदिर कटारमल (Katarmal Sun Temple): अल्मोड़ा के छोटे से गाँव कटारमल में स्थित सूर्य मंदिर 800 साल से अधिक पुराना माना जाता है। यह धार्मिक स्थल समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे कटारमल्ला नामक कत्यूरी राजा ने बनवाया था। मंदिर परिसर के अंदर लगभग 45 छोटे मंदिर हैं, जो विभिन्न हिंदू देवताओं को समर्पित हैं।
उम्मीद है की इस जानकारी से आपको सूर्य देव के महत्व के बारे में पता चला होगा। तो आप भी आज से अपने दिन की शुरुवात सूर्य देव की पूजा करके करें आपको निश्चित रूप से लाभ होगा और आप सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने लगेंगे। नियमित रूप से ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए अजनाभ को सब्सक्राइब ज़रूर करें। आपके प्रेम और सहयोग के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद्। जय हिन्द।
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