Raag Bhimpalasi हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत ऑनलाइन सीखिए

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत एक ऐसी प्रणाली है जिसका उपयोग गायन और वादन के लिए किया जाता है। प्राचीन काल की ये विद्या हम हिन्दुस्तानियों को विरासत में मिली है। दिन में गाए जाने वाले रगों में भीमपालसी एक बहुत ही मधुर और सुरीला राग है। ये राग काफी ठाट से उत्पन्न हुआ है और इसमें नी तथा ग कोमल लगते हैं। इस राग की बारीकियों को समझने के लिए हम आपसे ये गुज़ारिश करते हैं की आप मेहदी हसन साहब द्वारा गयी गयी उनकी ग़ज़ल ” ज़िन्दगी में तो सभी प्यार किया करते हैं ” ये राग हिंदुस्तानी संगीत के मशहूर रागों में से एक है जिसपे बहुत सारे फ़िल्मी गाने कंपोज़ किये गए हैं। आइये नीचे दिए गए चार्ट से इस राग की विशेषताओं को समझते हैं।

स्वरग और नी कोमल और बाकी सभी शुद्ध स्वर
जातीऔड़व / संपूर्ण
थाटकाफ़ी
वादी / सम्वादीम / सा
समयदिन का चौथा प्रहर ( दोपहर 3 से 6 बजे तक )
आरोह’नी – सा – ग – म – प – नी – सा’
अवरोहसा’- नी – ध – प – म – ग – रे – सा
पकड़’नी – सा – ग – म – प – ग, म – ग – रे -’नी – सा

राग भीमपलासी वैसे तो ये राग बहुत लोकप्रिय है और इसपर बहुत सारे गाने बनाये गए हैं जिनमे से कुछ गानों का विवरण हम यहाँ दे रहे हैं ताकि आप इस राग को भली भांति समझ सकें। राग भीमपलासी पर आधारित कुछ लोकप्रिय गाने इस प्रकार है।

ऊपर दिए गए गानें राग भीमपलासी के सिर्फ कुछ उदहारण हैं। जैसे जैसे आप इस राग को समझना और गाना शुरू करेंगे, आपको इस राग की व्यापकता का अंदाजा हो जाएगा। इसी प्रकार की ज्ञानवर्धक जानकारियों के लिए अजनाभ को सब्सक्राइब ज़रूर करें। आप संगीत के और लेख हमारे साइट फर्स्ट म्यूजिक पर भी पढ़ सकते हैं और आप चाहे तो इंग्लिश में भी ये सभी आर्टिकल पढ़ सकते हैं अजनाभ इंग्लिश साइट पर। आपके प्यार और सहयोग के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद्। जय हिन्द।

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