Moral Short Stories in Hindi चिल्ड्रन स्टोरी इन हिंदी

इस आर्टिकल में हम Moral Short Stories in Hindi पढेंगे जिसे पढने से बच्चों में अच्छे संस्कार और सूझ बुझ का विकास होता है।

Top 10 Moral Stories in Hindi मजेदार स्टोरी इन हिंदी

1. समझदार चूहे की कहानी

बच्चों आज आपको मैं एक शरारती चूहे की कहानी सुनाता हूं। एक शरारती चूहा राजू के घर में घुस गया उसने पूरे घर को तहस-नहस करके रख दिया। उसने कई सारी किताबें उतर डाली और राजू के काफी सारे कपड़े और खिलौने भी कुतर दिए। इसके बाद वह घर में बनाए जाने वाले खाने को भी आ जाया करता था।

इससे घर के सभी लोग बड़े परेशान थे। एक दिन राजू के घर में शरबत बनाया गया। चूहे ने काफी दिमाग लगाया लेकिन शरबत के बर्तन में उसका मुंह नहीं घुस रहा था। आखिरकार चूहे ने सोचा की बोतल का मुंह तो काफी छोटा है मैं यह शरबत कैसे पी सकता हूँ ? चूहे ने दिमाग लगाया और अपनी पूछ बोतल में डाल दी।

जब उसकी पूंछ गीली हो गई चूहे ने पूछ निकाली और उसे चाटने लगा। उसने फिर से अपनी पूछ बोतल में डाल दी पूछ वापस गीली हो गई चूहे ने फिर से अपनी पूछ को चाट लिया। इस प्रकार धीरे-धीरे करके उसने शरबत पी लिया इसके बाद चूहा काफी खुश हुआ और आराम करने लगा।

शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की बुद्धिमानी से सब कुछ संभव है इसलिए हमें सूझबूझ और बुद्धिमानी से निर्णय लेना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में भी धीरज नहीं खोना चाहिए।

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2. खरगोश और कछुए की कहानी

एक बार एक खरगोश और कछुए मैं बाजी लग गई कि कौन तेज दौड़ेगा। खरगोश को अपने चाल पर बड़ा घमंड था और कछुआ तो ठहरा बेचारा धीरे-धीरे रहने वाला जानवर। कछुए ने इस प्रतियोगिता के लिए हामी तो भर दे लेकिन सब को यह पता था कि जीतेगा तो खरगोश ही। जब दौड़ शुरू हुई तो खरगोश ने थोड़ी ही देर में लगभग तीन चौथाई दौड़ पूरी कर ली।

उसके बाद उसने सोचा कि कछुए को तो यहां आते आते काफी वक्त लगेगा तब तक क्यों ना मैं थोड़ा सा आराम कर लूं। ऐसा सोचकर खरगोश आराम करने लगा और तभी उसे गहरी नींद आ गई। उधर कछुआ बेचारा धीरे-धीरे रेंगता हुआ मंजिल तक पहुंच गया।

जब खरगोश की नींद खुली तो उसे पता चला की कछुआ तो यह बाजी जीत चुका है। खरगोश को अपने करनी पर बड़ा पछतावा हुआ लेकिन अब क्या हो सकता था। एक तेज दौड़ने वाला जानवर होकर भी वह एक मंद गति से चलने वाले कछुए से हार गया था।

शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि नियमित रूप से धीरे-धीरे मंजिल की तरफ आगे बढ़ने वाला व्यक्ति एक दिन निश्चित रूप से अपनी मंजिल तक पहुंचता है। हमें अपनी योग्यता का घमंड ना करते हुए नियमित रूप से प्रतिदिन अपने मंजिल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ते रहना चाहिए।

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3. सोने के अंडे देने वाली मुर्गी

एक गांव में एक किसान रहता था। उसके पास सोने का अंडा देने वाली मुर्गी थी। मुर्गी रोज रात को एक सोने का अंडा देती थी। किसान दिन प्रतिदिन अमीर बनता जा रहा था। उसे कोई काम करने की जरूरत ही नहीं थी। वह तो बस सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कि भरोसे अपनी जिंदगी मजे में गुजार रहा था।

एक दिन किसान ने सोचा कि रोज-रोज मुर्गी एक अंडा देती है क्यों ना मैं इस मुर्गी को मार डालूं और सारे अंडे एक साथ में निकाल लूं। मन में ऐसा विचार आते हैं उसने लालच बस मुर्गी को मार डाला लेकिन भला एक मुर्गी के अंदर से हजारों अंडे कहां से निकलते ? उसे तो बस एक ही अंडा मिला और मुर्गी भी मर चुकी थी। अब तो किसान बड़ा पछताया और विलाप करने लगा उसने जीवन भर सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को लालच में आकर मार डाला था।

शिक्षा : लालच बुरी चीज है हमें ईश्वर से जो भी मिलता है हमें सच्चे मन से ईश्वर को धन्यवाद देते हुए उसे अपनाना चाहिए और ज्यादा लालच में नहीं पड़ना चाहिए।

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4. संत और बिच्छू की कहानी

एक बार एक संत नदी में स्नान कर रहे थे तभी उन्होंने देखा की एक बिच्छू नदी की धारा में बहता जा रहा था और अपने प्राण बचाने के लिए छटपटा रहा था। संत को उस बिच्छु के ऊपर दया आ गई और उन्होंने उस बिच्छू को अपने हाथों पर उठाकर किनारे रखने की कोशिश की।

लेकिन जैसे ही संत ने बिच्छू को अपने हाथों पर लिया बिच्छू ने स्वभाव बस संत को ही डंक मार दिया। इससे संत पीड़ा से बुरी तरह तिलमिला उठे और बिच्छू उनके हाथ से छूट कर फिर से नदी की धार में जा गिरा लेकिन संत ने हार नहीं मानी और अपने दर्द की परवाह किए बिना उन्होंने वापस बिच्छू को अपने हाथ से उठाया।

दूसरी बार भी बिच्छू ने उन्हें फिर से डंक मार दिया। ऐसा कई बार होता रहा बार-बार संत बिच्छू को नदी की धार से निकालकर किनारे रखने की कोशिश करते रहें और बिच्छू उनके हाथ पर डंक मारता जाता। संत पीड़ा से तिलमिलाने लगे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आखिरकार बिच्छू को उठाकर नदी के किनारे सूखी जमीन पर रख दिया जिससे कि बिच्छू के प्राण बच गए।

शिक्षा : हमें हर परिस्थिति में अपने स्वभाव को नहीं छोड़ना चाहिए जिस प्रकार एक बिच्छू ने अपना स्वभाव नहीं छोड़ा उसने संत को नंद मारा जबकि वह उसी की जान बचाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन संत ने भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ा और बिच्छू के प्राण बचाकर ही दम लिए भले इसके लिए उन्हें काफी दर्द सहना पड़ा।

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5. रामकृष्ण परमहंस और विषधर साँप

एक गाँव में एक पीपल का पेड़ था जिसके नीचे एक विषधर साँप रहता था। उस विषधर सांप ने गांव के कई पशुओं को काट लिया था। इस वजह से गांव के सभी लोग उस विषधर साँप से काफी भयभीत रहते थे। एक दिन की बात है उस गांव में स्वामी रामकृष्ण परमहंस आए हुए थे जो कि एक महान संत थे।

जब उन्हें पता चला कि गांव में एक विषधर सांप है जिसने पूरे गांव के लोगों को दहशत में डाल रखा है तो वह उस पीपल के पेड़ के पास गए और उन्होंने उस सांप को आवाज दी। सांप गुस्से में बाहर निकला तब रामकृष्ण परमहंस ने उससे कहा कि लोगों को काटने का मार्ग छोड़ दो यह पाप है।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस का ऐसा कहना था की पल भर में उस विषधर सांप का ह्रदय परिवर्तन हो गया और उस दिन से उसने गांव के किसी भी व्यक्ति को परेशान नहीं किया। उसके बाद अक्सर यह देखा गया कि गांव के बच्चे भी उस विषधर साँप को परेशान करते थे लेकिन इसके बावजूद उसने कभी किसी को डसा नहीं। रामकृष्ण परमहंस द्वारा ज्ञान दिए जाने के बाद वह सांप पूरी तरह बदल चुका था।

शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की संगति का मनुष्य पर बड़ा असर होता है। अगर हम संतों की संगति में रहते हैं तो हम संत बन जाएंगे और हमारे अंदर अच्छे विचार पैदा होंगे इसीलिए हमें अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए।

6. समझदार कौवा

एक कौवा बहुत ही प्यासा था। वह पानी की तलाश में है दूर-दूर तक भटकता रहा लेकिन उसे कहीं भी पानी नहीं मिला। दिनभर भटकने की वजह से कौवा बुरी तरह से थक चुका था तभी उसे एक पानी का बर्तन दिखाई दिया। कौवा पानी के उस बर्तन के पास पहुंचा लेकिन उस बर्तन में पानी बहुत ही कम था और कौवे की चोंच वहां तक पहुंच नहीं पा रही थी।

प्यास की वजह से व्याकुल कौवे को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह अपनी प्यास बुझाये कैसे। आखिरकार उसे एक युक्ति सूची। उसने अपनी चोंच से पास पड़ा एक कंकड़ उठाया और उसे पानी में डाल दिया। उसने वापस एक कंकड़ उठाया और उसे भी पानी में डाल दिया। जैसे जैसे वह कंकड़ पानी में डालते गया पानी ऊपर आता गया।

कुछ समय बाद काफी सारे कंकड़ डालने के बाद आखिरकार पानी बर्तन के मुंह तक आ गया और कौवे ने जी भरकर पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई।

शिक्षा : कठिन परिस्थितियों में सुझबुझ से कठिन समस्याओं पर आसानी से विजय प्राप्त की जा सकती है।

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सारांश – Summary

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