भारतरत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्मानीत गायिका हैं। अपने करियर के शुरुवाती दौर में उन्होने कुछ मराठी और हिंदी फिल्मों में अभिनय भी किया था. इसके साथ ही उन्तहोंने फिल्मोद्योग में कुछ मराठी फिल्मों व हिंदी फिल्मों का निर्माण भी किया था, और कुछ फिल्मों का संगीत निर्देशन भी किया. उन्होंने जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में अत्याधुनिक अस्पताल भी उन्होने बनवाये लेकिन उन्हें देश विदेश में पहचान “भारतीय सिनेमा के पार्श्वगायिका ” के रूप में ही मिली।
लता जी नें हिंदी, मराठी एवं बांग्ला सहित 36 से अधिक भाषाओं में फिल्मी तथा गैर-फिल्मी गाने गाये हैं। उनकी आवाज में ऐसा जादू था की हर सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता था। लता जी की जादुई आवाज़ के दिवाने भारत के अलावा पूरी दुनिया में भरे हुए हैं। लता मंगेशकर जी को संगीत के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए ‘पद्मभूषण’ , ‘पद्मविभूषण’ तथा ‘भारत रत्न’ और दादा साहेब फाल्के जैसे सम्मानों से अलंकृत किया गया।
नाम | लता मंगेशकर |
पिता का नाम | दीनानाथ मंगेशकर |
माता का नाम | शेवंती मंगेशकर |
जन्म | 28 सितंबर, 1929 |
मृत्यु | ६ फरवरी २०२२ |
भाई – बहन | मीना खडीकर, उषा मंगेशकर आशा भोसले, हृदयनाथ मंगेशकर |
जन्मस्थान | इंदौर, मध्यप्रदेश, भारत |
धर्म | हिन्दू |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 को मध्य प्रदेश राज्य के इन्दौर शहर में हुआ था। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर और माता शेवंती थी। लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक संगीतकार, शास्त्रीय गायक और मराठी थिएटर में अभिनेता थे जबकि माँ गुजराती थी और शेवंती उनकी दूसरी पत्नी थी। उनकी पहली पत्नी का नाम नर्मदा था जिसकी मृत्यु के बाद दीनानाथ ने नर्मदा की छोटी बहन शेवंती से विवाह किया था।
दीनानाथ मंगेशकर गोआ के मंगेशी के मूल निवासी थे और उन्होने अपना सर नेम बदलकर पंडित दीनानाथ हार्डीकर से मंगेशकर कर लिया था । लता जी उनकी और शेवंती की पहली संतान थीं जिनका नाम पहले हेमा था जिसे बदलकर बाद में लता कर दिया गया था। लता नाम दीनानाथ जी को अपने नाटक ‘भावबंधन’ के एक महिला किरदार लतिका के नाम से मिला था।
लता के बाद मीना, आशा और हृदयनाथ का जन्म हुआ। बचपन से ही लता को घर में गीत-संगीत और कला का वातावरण मिला और वे स्वभावतः उसी की तरफ आकर्षित हुई।लता मंगेशकर ने अपना कला क्षेत्र का पहला पाठ अपने पिता से सीखा था। पाँच साल की उम्र में लता ने अपने पिता के म्यूजिकल नाटक के लिये एक्ट्रेस का काम करना शुरू किया था । स्कूल के पहले दिन से ही उन्होंने बच्चो को गाने सिखाने शुरू कर दिये थे।
जब शिक्षको ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो वह बहुत गुस्सा हो गयी थी , लेकिन अपनी छोटी बहन आशा को भी स्कूल ले जाने पर जब शिक्षको ने उन्हें बैठने की अनुमति नहीं दी तो इससे लता को बहुत दुःख हुआ और उन्होने भी स्कूल जाना ही छोड़ दिया।
दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु 1942 में हो गई तब लता मात्र 13 साल की थीं। वे अपने सभी भाई और बहनों में सबसे बड़ी थीं तो उनपर घर का आर्थिक दायित्व आ गया और उन्होने अभिनय तथा गायन दोनों के द्वारा धनार्जन प्रारम्भ कर दिया। एक मराठी फिल्म के लिए उनकी आवाज में एक गाना रिकॉर्ड किया गया , लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो उसमें लता का गाया गाना नहीं था, इस बात से लता बहुत आहत हुई।दीनानाथ के अच्छे मित्र विनायक दामोदर एक फिल्म कंपनी के मालिक थे, जिन्होने दीनानाथ की मृत्यु के बाद लता जी के परिवार को बहुत सहारा दिया।
1945 में लता मंगेशकर जी मुंबई आ गई और इसके बाद उनका करियर धीरे -धीरे आकार लेने लगा।लता मंगेशकर ने संगीत की शिक्षा उस्ताद अमानत अली खान से संगीत की शिक्षा लेना शूरू कर दिया। वर्ष 1947 में विभाजन के बाद उस्ताद अमानत अली खान पाकिस्तान चले गये इसलिए वो भतीजे अमानत खा से शास्त्रीय संगीत सीखने लगीं।
1948 में विनायक की मौत के बाद गुलाम हैदर उनके संगीत गुरु बने। लता मंगेशकर ने विनायक दामोदर की दूसरी हिंदी फिल्म सुभद्रा , फिर फिल्म “बड़ी माँ” (1945) में भजन गाये। उनके गाए भजन ‘माता तेरे चरणों में’ 1946 में रिलीज हुई। वर्ष 1947 में हिंदी फिल्म ‘आप की सेवा में’ के लिए भी एक गाना गया, लेकिन सफलता लता से अब भी बहुत दूर थी ।
गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर की मुलाकात शशधर मुखर्जी से कराई जो उन दिनों फिल्म “शहीद” पर काम कर रहे थे लेकिन मुखर्जी ने यह कहकर मना कर दिया कि उनकी आवाज पतली है।उस समय गायिका नूरजहाँ,शमशाद बेगम, जोह्राबाई अम्बलेवाली का दबदबा था, उनकी आवाज भारी व अलग थी, उनके सामने लता की आवाज काफी पतली और दबी हुई लगती थी।
उसके बाद गुलाम हैदर ने लता जी को फिल्म ” मजबूर” में मौका दिया जिसमे उन्होंने “दिल मेरा तोडा ,मुझे कही का न छोड़ा ” गाना गाया जो उनके जीवन का पहला हिट गाना बना यही कारण है कि लता जी गुलाम हैदर साहब को ही अपना गॉडफादर मानती है। समय बदला , 1949 में लता जी ने लगातार 4 हिट फिल्मों में गाने गए और सभी गानें बहुत पसंद किये गए ‘ बरसात’, ‘दुलारी’, ‘अंदाज’ व ‘महल’ फिल्में हिट थी, इसमें से ‘महल’ फिल्म का गाना ‘आएगा आनेवाला’ सुपर हिट हुआ और लता के पैर हिंदी सिनेमा जगत जम गए।
लता मंगेशकर ने उस समय के सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया। अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने इनकी प्रतिभा का लोहा माना। लता ने ‘दो आँखें बारह हाथ’, ‘दो बीघा जमीन’,’ मदर इंडिया’, ‘मुगल ए आजम’ आदि महान फिल्मों में गाने गाये। “एक थी लड़की”, “बड़ी बहन” आदि फिल्मों की लोकप्रियता लता के गाये गीतों ने चार चाँद लगाए। इस दौरान आपके कुछ प्रसिद्ध गीत थे “ओ सजना बरखा बहार आई” (परख-1960), “आजा रे परदेसी” (मधुमती-1958), “इतना ना मुझसे तू प्यार बढा़” (छाया- 1961), “अल्ला तेरो नाम”, (हम दोनों -1961), “एहसान तेरा होगा मुझ पर”, (जंगली-1961), “ये समां” (जब जब फूल खिले-1965) इत्यादि।
बाद के वर्षों में उन्होंने संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला ऐसी बिखेरी जैसे कि गीत, गजल, भजन सब विधा में उनका वर्चस्व बढ़ने लगा। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर हो या फिर लोकधुन की खुशबू से सराबोर हो-हर गीत को लता ने ऐसे जीवंत रूप में पेश किया कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाय । उन्होने मन्ना डे , मुहम्मद रफी, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि के साथ-साथ दिग्गज शास्त्रीय गायकों पं भीमसेन जोशी, पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए। गजल के बादशाह जगजीत सिंह के साथ एलबम “सजदा” ने लता को अद्वितीय , अतुलनीय बना दिया।
लता मंगेशकर ने 1953 में सबसे पहले मराठी फिल्म ‘वाडई‘ बनाई फिर इसी वर्ष उन्होंने संगीतकार सी. रामचंद्र के साथ मिलकर हिंदी फिल्म ‘झांझर‘ का निर्माण किया था। तत्पश्चात 1955 में हिंदी फिल्म ‘कंचन‘ बनाई। उपरोक्त तीनों औसत फिल्में थीं। 1990 में उनकी फिल्म ‘लेकिन‘ हिट होने के बाद लता जी ने पांच फिल्मों में संगीत निर्देशन दिया था। सभी फिल्में मराठी थीं और 1960 से 1969 के बीच बनी थीं। बतौर संगीत -निर्देशक उनकी पहली फिल्म राम और पाव्हना (1960) थी। अन्य फिल्में मराठा टिटुका मेलेवा (1962), साहित्यांजी मंजुला (1963), साधु मानसे (1955) व तबाड़ी मार्ग (1969) थीं।
लता मंगेशकर की शादी नहीं हो पाई। बचपन से ही परिवार का बोझ उन्हें उठाना पड़ा। इस दुनियादारी में वे इतना उलझ गईं कि शादी के बारे में उन्हें सोचने की फुर्सत ही नहीं मिली। बताया जाता है कि संगीतकार सी. रामचंद्र ने लता मंगेशकर के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन लता जी ने इसे ठुकरा दिया था। हालांकि लता ने इस बारे में कभी खुल कर नहीं कहा, परंतु बताया जाता है कि सी. रामचंद्र के व्यक्तित्व से लता बहुत प्रभावित थीं और उन्हें पसंद भी करती थीं। सी. रामचंद्र ने कहा था कि लता उनसे शादी करना चाहती थीं, परंतु उन्होंने इंकार कर दिया क्योंकि वह पहले से शादीशुदा थे।
देश-भक्ति गीत
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर।
आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है। लता मंगेशकर के कौन से गीत पसंद किए गए या लोकप्रिय रहे इसकी सूची बहुत लंबी है।लता के गाये यादगार गीतों में इन फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्।
उम्र बढ़ने के बाद भी लता की आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली बनी रही बल्कि उसमे और भी निखार आता गया। उन्होंने ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी ढेर सारे गाने गाए जिनमें से अधिकांश पसंद किए गए। किसी को मदन मोहन के संगीत में लता की गायकी पसंद आई तो किसी को नौशाद के संगीत में। सब की अपनी-अपनी पसंद रही। लता मंगेशकर का कहना था कि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने कितने गाने गाए क्योंकि उन्होंने कोई रिकॉर्ड नहीं रखा। गिनीज बुक में भी उनका नाम शामिल किया गया था लेकिन इसको लेकर खासा विवाद है। लगभग 6 से 7 हजार गीतों को लता ने अपनी आवाज दी है ऐसा माना जाता है।
पुरस्कार और सम्मान
लता मंगेशकर को ढेरों पुरस्कार और सम्मान मिले। जितने मिले उससे ज्यादा के लिए उन्होंने मना कर दिया। 1970 के बाद उन्होंने फिल्मफेअर को कह दिया कि वे सर्वश्रेष्ठ गायिका का पुरस्कार नहीं लेंगी और उनकी बजाय नए गायकों को यह दिया जाना चाहिए। लता को मिले प्रमुख सम्मान और पुरस्कार इस तरह से हैं।
पुरस्कार Awards
- फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
- राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
- 1969 – पद्म भूषण
- 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
- 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- 1993 – फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
- 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार
- 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
- 1999 – पद्म विभूषण
- 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
- 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
- 2001 – महाराष्ट्र भूषण 1. फिल्म फेर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
- 1972 – महिला पार्श्व गायिका राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (फिल्म-परी)
- 1974 – महिला पार्श्व गायिका राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (फिल्म-कोरा कागज)
- 1990 – महिला पार्श्व गायिका राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (फिल्म-लेकिन)
- 1959 – फिल्मफयर अवार्ड्स ‘आजा रे परदेसी’ (फिल्म-मधुमती)
- 1963 – फिल्मफयर अवार्ड्स ‘काहे दीप जले कही दिल (फिल्म-बीस साल बाद)
- 1966 – फिल्मफयर अवार्ड्स ‘तुम मेरे मंदिर तुम मेरी पूजा’ (फिल्म-खानदान)
- 1970 – फिल्मफयर अवार्ड्स ‘आप मुझसे अच्छे लगने लगे’ (फिल्म-जीने की राह से)
- 1994 – विशेष पुरस्कार ‘दीदी तेरा देवर दीवाना’ (फिल्म-हम आपके हैं कौन)
- 2004 – फिल्मफेयर स्पेशल अवार्ड 50 साल पूरे करने पर
मृत्यु – 6 Feb 2022
लता मंगेशकर काफी समय से बीमार चल रही थी और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वो कोरोना से संक्रमित थी, उन्हें बाद में निमोनिया हुआ और उनकी हालत बिगडती चली गयी। उन्हें वेंटीलेटर पर भी रखा गया लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। उन्होंने ६ फ़रवरी २०२२ को आखिरी सांसें ली। उनका ९२ साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में निधन हो गया।
इसके अलावा भी लता मंगेशकर जी को अनेक राज्यों द्वारा कई पुरस्कार एवं सम्मान दिए जा चुके हैं। लता मंगेशकर जी भारत के इतिहास में एक ऐसी महिला हैं जिन्हें कुछ शब्दों में परिभाषित करना नामुमकिन है।