दोस्तों जिस नागरिक संहिता का इंतजार पूरा देश कर रहा था आखिरकार वो उत्तराखंड में लागू होने जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं यूनिफॉर्म सिविल कोड यानि की समान नागरिक संहिता की जो सबसे पहले उत्तराखंड राज्य में लागू होने जा रही है. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भोपाल में अपने संबोधन में इसके संकेत दिए थे
जल्द लागू होने वाला है समान नागरिक संहिता
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने की प्रक्रिया तेजी से चल रही है और इसे बहुत ही जल्दी अंतिम रूप दे दिया जाएगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहां है कि जैसे ही फाइनल ड्राफ्ट आएगा वैसे ही उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता पूरे राज्य में लागू कर देगी. दोस्तों आपको बता दें कि समान नागरिक संहिता का विषय भाजपा बहुत पहले से ही उठाती रही है. जब 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे तब भी भाजपा ने अपने शपथ पत्र में इसका जिक्र किया था.
ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने की चल रही है तैयारी
आपको बता दें कि इस वक्त पूरे देश की निगाहें उत्तराखंड पर टिकी हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि उत्तराखंड में लागू होने वाली समान नागरिक संहिता में कुछ संशोधन किए जाएंगे और इसे पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा. इस वजह से केंद्र सरकार के साथ ही दूसरे राज्यों के लिए भी समान नागरिक संहिता कानून लागू करना आसान होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट से इसके निर्देश प्राप्त हो चुके हैं.
इसके अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह की काफी तारीफ की थी और ऐसा कहा था कि पुष्कर सिंह जी काफी सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. ड्राफ्ट में ज़रूरी संशोधन के बाद उत्तराखंड सरकार जल्दी से जल्दी समान नागरिक संहिता लागू करना चाहती है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इसमें उत्तराखंड सरकार जरूरत के हिसाब से कुछ संशोधन कर सकती है और इसके बाद विधानसभा से विधायक पारित कराने के बाद इसे पूरे राज्य में लागू कर दिया जाएगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को एक ट्वीट करके कहा था कि समिति का फाइनल ड्राफ्ट आते ही सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू कर देगी.
पांच सदस्यीय टीम कर रही है काम
आपको याद होगा कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने चुनावी भाषण में कहा था कि अगर उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनती है तो यहां समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. जैसे ही वह सत्ता में आए उन्होंने अपने इस वादे को निभाने की दिशा में कार्य करना शुरू किया. उनकी सरकार ने जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया था जिन्होंने समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने में सरकार की पूरी मदद की.
समान नागरिक संहिता यानी कि यूनिफार्म सिविल कोड क्या है?
चलिए अब हम आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर यह समान नागरिक संहिता यानी कि यूनिफार्म सिविल कोड क्या है और अपने देश में इसकी जरूरत क्यों है? दोस्तों यूनिफॉर्म सिविल कोड एक कानून है जो सभी धार्मिक समुदायों पर “एक देश एक नियम बनाने” अपनाने को कहता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड विवाह, तलाक, रखरखाव, विरासत, गोद लेने, और उत्तराधिकार जैसे मामलों को नियंत्रित करता है. यह सुनिश्चित करता है कि वर्तमान सभ्यता में धर्म और कानून के बीच कोई संबंध नहीं होना चाहिए अर्थात सभी धर्मों के लोग एक ही कानून का पालन करें ना कि धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बनाए गए कानून का.
समान नागरिक संहिता का अर्थ यह हुआ कि एक ही नियम सभी जाति धर्म पर लागू होंगे. कोई भी जाती कोई भी धर्म अपने अनुसार नियम नहीं बना सकते हैं. इससे समाज में जो अत्याचार होते हैं, तलाक होते हैं, मासूम बच्चियों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव होता है इन सब घटनाओं पर लगाम लगेगी क्योंकि सिर्फ और सिर्फ कानून का राज चलेगा ना कि किसी धर्म विशेष समुदाय के द्वारा बनाये गए नियम का.
भारत में जाति और धर्म के आधार पर कई सारे अलग-अलग कानून हैं इस वजह से भारत के सामाजिक ढांचे में काफी गिरावट आई है. बरसों से अपने देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठाई जाती रही है ताकि सभी जाति धर्म, वर्ग, संप्रदाय एक ही सिस्टम में काम करें. अगर वर्तमान समय की बात करें तो लोग शादी तलाक इत्यादि मुद्दों को के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड चले जाते हैं.
तो समान नागरिक संहिता के उत्तराखंड में लागू होने के बारे में यह थी जानकारी. आपका इस बारे में क्या ख्याल है? क्या आपको लगता है कि यह एक अच्छा प्रयास है और इससे अपने देश में प्रगति आएगी? क्या आपको लगता है कि इस समान नागरिक संहिता से हमारे देश में कुछ नया होने वाला है जो कि जरूरी था? हमें कमेंट में बताएं ताकि हम आगे भी इसी प्रकार के वीडियो आपके लिए लेकर आते रहें धन्यवाद!